होली का पाकर आमंत्रण
नेता जी घबराये
पल भर देर किये बिन
दौड़े दौड़े आये।
कहने लगे बचाओ हमको
हम न खेलेंगे होली।
हमने पूछा बात है क्या
ये कैसी है ठिठोली ?
तरह तरह के रंग रंगे
पर कभी न कोई फर्क पड़ा
होली के इन रंगों से क्यों
इस चेहरे का रंग उड़ा ?
कहने लगे अजी सुनिये
तुमसे कुछ न छिपायेंगे
कला तन और काला मन भी
अब किस पर रंग चढ़ायेंगे
कपड़े भी गर काले हुये तो
कुर्सी कैसे बचायेंगे
नेता जी घबराये
पल भर देर किये बिन
दौड़े दौड़े आये।
कहने लगे बचाओ हमको
हम न खेलेंगे होली।
हमने पूछा बात है क्या
ये कैसी है ठिठोली ?
तरह तरह के रंग रंगे
पर कभी न कोई फर्क पड़ा
होली के इन रंगों से क्यों
इस चेहरे का रंग उड़ा ?
कहने लगे अजी सुनिये
तुमसे कुछ न छिपायेंगे
कला तन और काला मन भी
अब किस पर रंग चढ़ायेंगे
कपड़े भी गर काले हुये तो
कुर्सी कैसे बचायेंगे
No comments:
Post a Comment