काश
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बहुत कोसा हमने
इस समय को
इस जमाने को
सोचो जरा क्या
ये समय
नहीं है हमारा
हम भी नहीं हैं
इसी जमाने में ?
काश कभी देखा होता
अपने ही भीतर
काश पढ़ी होती
कविता कबीर की .
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बहुत कोसा हमने
इस समय को
इस जमाने को
सोचो जरा क्या
ये समय
नहीं है हमारा
हम भी नहीं हैं
इसी जमाने में ?
काश कभी देखा होता
अपने ही भीतर
काश पढ़ी होती
कविता कबीर की .