Tuesday, March 27, 2012

इक्कीसवी सदी के
द्वार पर खड़ी औरत
देख रही है पीछे .........
आँखों में उभरती हैं
अख़बार की सुर्खियाँ ........
एक अस्सी वर्ष की
वृधा से बलात्कार
जिन्दा जलाई जाती
नव विवाहिताओं की  चित्कार
इक्कीसवीं सदी में भी
क्या ऐसा ही होगा मेरे साथ
पूछ रही है औरत
 

Thursday, March 1, 2012

इंतजार

अबकी फागुन ने
भर दिए हैं रंग
टेसू  के फूलों में
बूढ़े हाथों ने
तोड़े हैं फूल
बनाया है रंग
उन फूलों से 
दूंढ ली है
छोटी सी पोटली
अबीर की
अबकी आएगा बेटा
परदेश से
मनायेगा त्यौहार
गाँव में
बूढ़ी आँखें
कर रही हैं इंतजार
फागुन के आने का