Wednesday, June 3, 2015

चिड़िया

चुन चुन कर
 तिनके 
 बुनती है घोसला 
 डैनों पर अपने 
 तोलती है आकाश
 आँधियों से बेखबर 
 चुनती है सपने
 अक्सर बिखर जाते हैं 
 सपने
 मगर बिखरती नहीं वह 
 सहेज कर बिखरे सपने
 जुट जाती 
 पुनर निर्माण में  

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