Thursday, March 1, 2012

इंतजार

अबकी फागुन ने
भर दिए हैं रंग
टेसू  के फूलों में
बूढ़े हाथों ने
तोड़े हैं फूल
बनाया है रंग
उन फूलों से 
दूंढ ली है
छोटी सी पोटली
अबीर की
अबकी आएगा बेटा
परदेश से
मनायेगा त्यौहार
गाँव में
बूढ़ी आँखें
कर रही हैं इंतजार
फागुन के आने का 
 

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