मालती अब खिलना नहीं
रूप और सुगंध का
दौर नहीं ये
अब तो
नागफनियों के दिन हैं |
कोमलता होगी लहूलुहान
अब तो
नागफनियों के दिन हैं |
कोमलता होगी लहूलुहान
तार तार होगा दामन
दे सको दंश तो बेशक खिलो | अब तो
चुभने चुभाने के दिन हैं |
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