सपने देखे तो बहुत
मगर बिखर गये ऐसे
तट से टकराकर जैसे
बिखर जाती हैं लहरें
चुने थे कुछ फूल
मगर समय की आँधी में
कब तक टिकते भला
बिखर गयीं पंखुरियां
बनाया फिर शीश महल
पर वह भी चूर -चूर
सह न सका
पत्थर जमाने के
मगर खत्म नहीं हुआ है
सब कुछ
अभी भी शेष हैं
आशाओं की ईंट
और इरादों की सीमेंट
गढ़ना हैअपना वजूद
कुछ ऐसा कि वह
थिर रहे आँधियों में
और सह सके पत्थर
जमाने के
मगर बिखर गये ऐसे
तट से टकराकर जैसे
बिखर जाती हैं लहरें
चुने थे कुछ फूल
मगर समय की आँधी में
कब तक टिकते भला
बिखर गयीं पंखुरियां
बनाया फिर शीश महल
पर वह भी चूर -चूर
सह न सका
पत्थर जमाने के
मगर खत्म नहीं हुआ है
सब कुछ
अभी भी शेष हैं
आशाओं की ईंट
और इरादों की सीमेंट
गढ़ना हैअपना वजूद
कुछ ऐसा कि वह
थिर रहे आँधियों में
और सह सके पत्थर
जमाने के
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