पहाड़ होते हैं
सैलानियों के सैरगाह
चमकती धवल चोटियाँ
कलकल करती नदियाँ और झरने
सोख लेते हैं
उनका सारा तनाव
खुशियों से झोली भर
लौट जाते हैं वे
वे देखते हैं
पहाड़ के मुख पर
चस्पा मुस्कान
नहीं देख पाते
उसका मन
और उसमें छिपी पीड़ा
पहाड़ जैसी होती है
पीड़ा पहाड़ की
सैलानियों के सैरगाह
चमकती धवल चोटियाँ
कलकल करती नदियाँ और झरने
सोख लेते हैं
उनका सारा तनाव
खुशियों से झोली भर
लौट जाते हैं वे
वे देखते हैं
पहाड़ के मुख पर
चस्पा मुस्कान
नहीं देख पाते
उसका मन
और उसमें छिपी पीड़ा
पहाड़ जैसी होती है
पीड़ा पहाड़ की
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