Sunday, May 6, 2012

पहाड़ होते हैं
सैलानियों के सैरगाह
चमकती धवल चोटियाँ
कलकल करती नदियाँ  और झरने
सोख लेते हैं
उनका सारा तनाव
खुशियों से झोली भर
लौट जाते हैं वे
वे देखते हैं
पहाड़ के मुख पर
चस्पा मुस्कान
नहीं देख पाते
उसका मन
और उसमें छिपी पीड़ा
पहाड़ जैसी होती है
पीड़ा पहाड़ की


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