मेरे बगीचे में
ऊग आई हैं नागफनियाँ
उलझती हैं दामन से
बार-बार |
मासूम उँगलियों से
टपकता लहू
पूछता है मुझसे
कब तक ढोओगी
सम्बन्धों की सलीब
आखिर कब तक ?
ऊग आई हैं नागफनियाँ
उलझती हैं दामन से
बार-बार |
मासूम उँगलियों से
टपकता लहू
पूछता है मुझसे
कब तक ढोओगी
सम्बन्धों की सलीब
आखिर कब तक ?
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