इक्कीसवीं सदी का द्वार
खुला है बजार में
बाज़ार में हैं हम
औरहमारे सपने
हमारे सारे सम्बन्ध
और सारी संवेदनाएं
बिकेंगी बजार में
इसीलिए लोग अब
खर्च नहीं करते उसे
हृदय को बदल दिया है
इसी सदी में पड़ेगा
संवेदनाओं का अकाल
बहुत ऊँची दरों पर
बिकेंगी संवेदनाएं
उन्हें इंतजार है
उसी समय का
खुला है बजार में
बाज़ार में हैं हम
औरहमारे सपने
हमारे सारे सम्बन्ध
और सारी संवेदनाएं
बिकेंगी बजार में
इसीलिए लोग अब
खर्च नहीं करते उसे
हृदय को बदल दिया है
गोदाम में
वे जानते हैं इसी सदी में पड़ेगा
संवेदनाओं का अकाल
बहुत ऊँची दरों पर
बिकेंगी संवेदनाएं
उन्हें इंतजार है
उसी समय का
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